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वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी में करीब 8 प्रतिशत की गिरावट संभावित-सूर्यकांत

रोजगार और आय में हुए नुकसान के विकट सवाल को हल किये बिना इकॉनमी में कोई बेहतरी की आशा करना बेमानी
रांची। आर्थिक मामलों के जानकार सूर्यकांत शुक्ला ने कहा कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर की आक्रामकता के अब थोड़ा नरम पड़ते दौर से देश की अर्थव्यवस्था गुजर रही है। यह लहर अभी समाप्त नही हुई है, परन्तु अधिकांश राज्यों में तीव्रता के उच्चतम बिंदु को संक्रमण छू चूका है।
राज्य स्तरीय सुविचारित लॉक डाउन के कारण इकॉनमी में इस बार 2020 जैसी गिरावट नही होगी,ऐसा अधिकतर जानकारों का मानना है, लेकिन देश की इकॉनमी में दिसंबर तिमाही 2020 से रिकवरी के जो संकेत मिलने लगे थे, उनको कोरोना की इस दूसरी लहर ने बाधित कर दिया है. तभी तो अर्थ जगत की रिसर्च एजेंसियो नोमुरा, गोल्डमैन सैक, जे पी मॉर्गन, एस अंड पी और मूडीज ने भारत की जीडीपी में वृद्धि के अपने पूर्व अनुमानों को 1 प्रतिशत से लेकर 4 प्रतिशत तक घटा दिया है। अप्रैल से जून 2021 तिमाही की जीडीपी के आंकड़े तो राष्टी्रय सांख्यिकी कार्यालय 31 अगस्त को जारी करेगा तभी वास्तविक स्थिति पता चलेगी। परन्तु इतना जरूर है कि दूसरी लहर के लॉक डाउन ने असंगठित क्षेत्र को ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के मुताबिक 23 करोड़ आबादी जो असंगठित क्षेत्र से जुडी है ,को जॉब लॉस और इनकम लॉस का सामना करना पड़ा है।
31मार्च 2021 को समाप्त हुए वित्त वर्ष में देश की जीडीपी में पिछले वित्त वर्ष की तुलना में कितनी वृद्धि या गिरावट हुई, इसकी सही स्थिति 31मई को जारी होने वाले राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एन एस ओ) की अधिकारिक रिपोर्ट से हो जायेगी।
हालाँकि इसमें अटकलों अनुमानों की ज्यादा गुंजाईश नही है, क्योंकि अप्रैल से जून, जुलाई से सितम्बर और अक्टूबर से दिसंबर 2020 यानी तीन तिमाहियों में जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े पहले से ही पब्लिक डोमेन में है। सिर्फ जनवरी मार्च 2021 जो अंतिम तिमाही का डेटा आना बाकी है जो 31मई को ही रिलीज़ होगा और इसी के साथ वार्षिक जीडीपी के विकास दर का पता चल जायेगा । एन एस ओ अपने पहले दो अग्रिम अनुमानों में 7 जनवरी 2021 को देश की जीडीपी में 7.7 प्रतिशत और 26 फ़रवरी दूसरे अग्रिम अनुमान में 8 प्रतिशत की गिरावट होने का आकलन जारी कर चूका है।
आर्थिक जानकारों ने अंतिम तिमाही जनवरी से मार्च में 0.5 प्रतिशत से 1.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है। यानी कुल मिलाकर बीते वित्तवर्ष की जीडीपी में 8 प्रतिशत के आसपास गिरावट का अनुमान है जो वित्तवर्ष 2019-20 की तुलना में कम होगा।
कोरोना की विनाशकारी लहर से प्रारम्भ हुई चालू वित्तवर्ष 2021-22 में संगठित और बड़े उद्योगों की आर्थिक गतिविधियां तो चलती रहीं ,परन्तु असंगठित क्षेत्र से जीविकोपार्जन करने वाली लगभग देश की 17 प्रतिशत आबादी के सामने रोजगार और आय के नुकसान का जो विकट सवाल खड़ा हो गया है, उसके हल के बिना इकॉनमी में कोई बेहतरी की आशा करना बेमानी होगा। सरकारी प्रोत्साहनों की उचित खुराक प्रभावित समूह वर्ग तक पंहुचाना सरकारों की प्राथमिकता होनी चाहिए।
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विभिन्न उद्योगों के विकास के लिए रिसर्च एंड डिजाइन टीम का करें गठन -मुख्यमंत्री

लाह और तसर आधारित उद्योगों का बढ़ावा मिले, प्रोससेसिंग यूनिट स्थापित हो
रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि झारखंड में उद्योंगों के विकास के लिए पर्याप्त संभावनाएं हैं. यहां उद्योगों के लिए माकूल वातावरण औ औद्योगिक निवेश को बढावा देने के लिए निवेशकों को सुविधाएं और रियायतें देने की दिशा में सरकार लगातार प्रयास कर रही है. मुख्यमंत्री आज उद्योग विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में इस बाबत अधिकारियों को कई निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि बड़े उद्योगों के साथ लघु, कुटीर और ग्रामोद्योगों को बढ़ावा देने के लिए विभाग कारगर कदम उठाए. इस मौके पर विभाग की ओर से उद्योंगों के विकास के लिए उठाए जा कदमों की जानकारी मुख्यमंत्री को दी गई.
कृषि आधारित उद्योगों के लिए भी हो सिंगल विंडो सिस्टम
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में कृषि आधारित उद्योंगों खासकर फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं. यहां भी निवेश को बढ़ावा देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि यहां भी सिंगल विंडो सिस्टम को कारगर तरीके से लागू किया जाए, ताकि यहां आने के लिए निवेशक आकर्षित हो सकें.
झारक्राफ्ट का प्रोफेशनली संचालन हो
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारक्राफ्ट इस राज्य की पहचान है. झारक्राफ्ट के उत्पादों की क्वालिटी अच्छी होने के साथ उसकी मांग भी बहुत है. लेकिन, उस हिसाब से झारक्राफ्ट को बाजार नहीं उपलब्ध हो रहा है. मुख्यमंत्री ने विभागीय अधिकारियों से कहा कि झारक्राफ्ट को प्रोफेशनल तरीके से संचालित करने की जरूरत है. इसके उत्पादों के लिए विशेषज्ञों की टीम के साथ मार्केट स्टैटजी को नए सिरे से बनाएं, ताकि झारक्राफ्ट् के उत्पादों को बेहतर और सुलभ बाजार मिल सके. उन्होंने यह भी कहा कि झारक्राफ्ट से जुड़े कारीगरों के वर्किंग कंडीशन को बेहतर बनाया जाए. उनकी मैपिंग करने के साथ उन्हें मार्केट स्टैटजी की जानकारी भी दें.
उद्योंगों की संभावनाएं तलाशने के लिए रिसर्च टीम का हो गठन
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में लाह और तसर समेत कई अन्य उद्योंगों के लिए काफी संभावनाएं हैं, लेकिन इनका अपेक्षित विकास नहीं हो पाया है. ऐसे में उद्योगों के लिए यहां क्या संभावनाएं हैं. उन्हें किस तरीके से स्थापित किया जा सकता है. इसका विभाग आकलन करे. इस दिशा में बइस बाबत रिसर्च एंड डिजाइन टीम का गठन करें, ताकि बेहतर परिणाम सामने आ सकें.
लाह और तसर उत्पादों के लिए प्रोसेसिंग यूनिट बने
मुख्यमंत्री ने कहा कि लाह औऱ तसर के उत्पादन में झारखंड देश का अग्रणी राज्य है. लेकिन, इन उत्पादों का अपने राज्य में बेहतर तरीके से इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है. ऐसे में लाह औऱ तसर आधारित उद्योगों को विशेष तौर पर बढ़ावा मिलना जरूरी है. उन्होंने कहा कि लाह और तसर उत्पादों के लिए यहां प्रोसेसिंग यूनिट बनाने की दिशा में विभाग योजनाबद्ध तरीके से पहल करे.
अनुसूचित जाति और जनजाति के उद्यमियों को मिले बढ़ावा
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों को बढ़ावा देने पर सरकार का विशेष जोर है. उन्होंने कहा कि इन उद्यमियों को उद्योग स्थापित करने के लिए सुविधाएं और रियायतें दी जा रही है. इस मौके पर विभागीय सचिव ने बताया कि राज्य में बन रहे इंडस्ट्रियल पार्कों में इन्हें जमीन अलॉटमेंट में प्राथमिकता के साथ रियायतें भी दी जा रही है, ताकि वे अपने उद्योंगों को स्थापित करने के साथ बेहतर तरीके से संचालित कर सकें.
इस बैठक में मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे, उद्योग विभाग की सचिव सचिव पूजा सिंघल, निदेशक जितेंद्र कुमार सिंह और मुख्यमंत्री लघु एवं कुटीर उद्योग बोर्ड के सीईओ श्री अजय कुमार मौजूद थे.
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किसानों की कर्ज माफी के लिए बैंकों को दिये 980 करोड़-बादल

सभी किसानों को सॉयल हेल्थ कार्ड और केसीसी उपलब्ध करायेगी सरकार
रांची।राज्य के कृषि मंत्री बादल ने कहा कि सरकार प्रदेश के किसानों को संपन्न बनाने तथा रिकार्ड कृषि उत्पादन की दिशा में सरकार तेजी से काम कर रही है। किसानों को समय पर बीज उपलब्ध कराने व यूरिया की समयबद्ध सप्लाई के लिये कृषि विभाग ने पूर्व से तैयारी कर रखी थी, उसे अब अमलीजामा पहनाया जा रहा है। कृषि मंत्री आज रांची के नेपाल हाउस स्थित एनआईसी में आयोजित राज्यस्तरीय कार्यशाला में राज्य के सभी जिला कृषि पदाधिकारियों और विभाग से जुड़े पदाधिकारियों को संबोधित कर रहे थे।
किसानों की कर्ज माफी के लिए बैंकों को दिये 980 करोड़
कृषि मंत्री बादल ने कहा कि अब तक 2 लाख 46 हजार किसानों की कर्ज माफी के लिये बैंकों को 980 करोड़ रुपये कृषि विभाग ने उपलब्ध करा दिया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में कृषि विभाग इस बार पूरी तरह से कमांडिंग मोड में है। उम्मीद है कि पांच साल के इस कार्यकाल में सरकार राज्य के 24 लाख किसानों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने में सफलता हासिल करेगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में कृषि क्षेत्र में कई क्रांतिकारी बदलाव हुए हैं और आगामी वर्षों में हम देश के उन चुनिंदा कृषि प्रदेशों में शामिल होंगे, जो कृषि उत्पादन के क्षेत्र में खास स्थान रखते हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष समय पर बीज वितरण का कार्यक्रम पूरी पारदर्शिता के साथ किया गया। साथ ही यूरिया का वितरण भी सभी किसानों के बीच किया जा रहा है। उन्होंने खरीफ के मौसम में किसानों को प्रोत्साहित करने के लिये सभी प्रखंडों और जिला स्तर पर जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में कार्यशाला के आयोजन का निर्देश दिया। कहा, इससे कृषि से जुड़ी सभी तरह की तकनीकी जानकारी किसानों की सुलभ होगी। उन्होंने निर्देश दिया कि खरीफ उत्पादन के लक्ष्य को 72 लाख मीट्रिक टन से आगे बढ़ा कर 100 लाख मीट्रिक टन करने के उद्देश्य से कार्य करें। बीएयू के प्रयासों की सराहना करते हुए बादल ने कहा कि नई तकनीक और परंपरागत कृषि के संयुक्त प्रयासों से ही हम कृषि उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर हैं।
कृषकों को योजनाओं का मिले लाभः अबू बक्कर
कार्यशाला में विभागीय सचिव अबू बक्कर सिद्दिकी ने कहा कि किसानों को सरकार की योजनाओं का लाभ मिले, इसके लिये पदाधिकारी, कृषि मित्र और जनसेवक किसानों से मिलें और उनकी जरूरतों के मुताबिक कृषि उत्पादन के संसाधन उपलब्ध करायें। उन्होंने कहा कि जनसेवक अब जिला कृषि पदाधिकारी के अधीन रहेंगे। श्री सिद्दिकी ने कहा कि फसल राहत योजना के तहत किसानों का रजिस्ट्रेशन अवश्य करायें, ताकि फसल का नुकसान होने पर उसकी भरपाई की जा सके। वहीं हॉर्टीकल्चर के लिये प्रोग्रेसिव किसानों को ई- मार्केटिंग से जोड़ने का निर्देश दिया। कृषि सचिव ने कहा कि खेती योग्य जमीन के दायरे को बढ़ाना है। राज्य में करीब 10 लाख हेक्टेयर के गैप को कम करने की जरूरत पर बल दिया। साथ ही किसानों को मल्टीक्रॉपिंग के लिये प्रोत्साहित करने और उनकी मांग के अनुरूप बीज, खाद और कृषि यंत्र उपलब्ध कराने का प्रयास करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि जिले में अलग-अलग विभागों द्वारा बने तालाब, डैम नहर के अगल बगल की जमीन पर खेती सुनिश्चित करें। वहीं जरूरत के मुताबिक सिंचाई योजना की रूपरेखा भी तैयार करें।
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अर्जुन मुंडा ने राज्यमंत्रियों व मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक् की

रांची। जनजातीय कार्य मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने आज नई दिल्ली में अपने मंत्रालय के दोनों सहयोगी राज्यमंत्रियों के साथ मंत्रालय के सचिव एवं संयुक्त सचिवों के साथ समीक्षा बैठक की। श्री मुंडा ने बताया कि आगामी दिनों में जनजातीय मंत्रालय द्वारा ली जाने वाली महत्वपूर्ण निर्णयों के बारे में विस्तार से चर्चा हुई।